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वाद्यांविषयी माहिती


 ⭕*वाद्यांविषयी माहिती*⭕

🎸🎷🥁🎹🥅🎸🎺🎷🎼🎻🥅

*(१) सनई :-*

सनई हे वायूवाद्य आहे. मंगल प्रसंगी हे वाद्य 
वाजवले जाते. सनईचे सूर गोड असतात. 
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*(२) डमरू :-*

डमरू हे एक तालवाद्य आहे. ते डुम डुम
असा आवाज करते. माकडाच्या खेळात 
मदारी या वाद्याचा उपयोग करतो. 
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*(३)  तुतारी :-*

तुतारी हे एक रणवाद्य आहे. याचा आवाज
कर्कश असतो. पूर्वी युद्धाच्या प्रारंभी हे वाद्य 
वाजवले जायचे. युद्धात राजाचा विजय 
झाल्यावर सनई - चौघडा यांच्यासोबत हे
 विजयी वाद्य वाजवण्यात यायचे. 
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*(४) तबला - डग्गा  :-*

तबला - डग्गा हे कातडी वाद्य आहे. शास्त्रीय 
गायनात पेटीच्या साथीला ठेका देण्यासाठी 
वाजवले जाते. 
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*(५) ढोलकी :-*

ढोलकी तमाशाच्या फडात लावणी व पोवाडा 
या गायनप्रकारात ढोलकीची साथ आवश्यक 
असते. ढोलकीच्या तालावर नृत्य केले जाते. 
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*(६)  डफ किंवा हलगी :-*

डफ/हलगी हे एक कातडी वाद्य आहे. पोवाडा 
गाताना शाहीर हे स्वतः हाताने वाजवतात. 
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*(७) खंजिरी / डफली  :-*

खंजिरी/डफली हे कातडी वाद्य शाहीर गाताना
वाजवतात. याच्या कडेला बारीक झांजा असतात. 
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*(८) ताशा :-*

ताशा हे कोकणातील कातडी वाद्य दोन
काठ्यांनी वाजवतात. पूर्वीच्या काळी लग्नाच्या 
वरातीत हे वाजवत असत.
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*(९) वीणा :-*

वीणा हे एक तंतूवाद्य आहे. गायनाच्या साथीला 
सूर कायम गुंजत राहण्यासाठी शास्त्रीय गायक 
वापरतात. 
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*(१०) तुणतुणे :-*

तुणतुणे हे लावणी, पोवाडा गाताना झिलकरी 
हे तंतूवाद्य साथीला घेतात. 
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*(११)  बासरी :-*

बासरी हे बांबूचे बनलेले वायूवाद्य आहे. 
हे ओठांच्या फुंकरीने वाजवले जाते. याचा 
स्वर मधुर असते. 
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*(१२) झांज :-*

झांज हे एक धातू वाद्य आहे. लेझीम विशेषतः 
खेळताना हे वाजवले जाते.  
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संकलन :-
 *शंकर सिताराम चौरे*(प्रा. शिक्षक)
          

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