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म्हणी व त्यांचे अर्थ

   🔹 *म्हणी व त्यांचे अर्थ*🔹

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*(१) रात्र थोडी, सोंगे फार.*

अर्थ-- कामाच्या मानाने वेळ अगदीच कमी 
         असणे. 
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*(२) पळसाला पाने तीनच.*

अर्थ -- कुठेही गेले तरी परिस्थिती तीच असते. 
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*(३) कुंपणच  शेत खाते.*

अर्थ -- रक्षकानेच चोऱ्या करणे. 
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*(४)जेवीन तर तुपाशी, नाहीतर तर उपाशी.*

अर्थ-- मिळाले तर चांगले पाहिजे नाहीतर 
         मुळीच नको. 
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*(५) अडली गाय; फटके खाय.*

अर्थ-- अडचणीत सापडलेल्या माणसाला 
       अपमानास्पद शब्द ऐकून घ्यावे लागतात. 
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*(६) अति तेथे माती.*

अर्थ-- कोणत्याही गोष्टीचा अतिरेक वाईट असतो. 
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*(७) करावे तसे भरावे.*

अर्थ-- आपण जशी कृती करू तसे त्याचे फळ 
        मिळते. 
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*(८) एक ना धड, भाराभर चिंध्या.* 

अर्थ-- एकाच वेळी अनेक कामे स्वीकारल्यामुळे 
        शेवटी कोणतेही काम पूर्ण न होणे. 
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*(९) काकडीची चोरी फाशीची शिक्षा.* 

अर्थ-- लहानशा अपराधासाठी फार मोठी 
         शिक्षा होणे. 
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*(१०) कामापुरता मामा.*

अर्थ-- गरजेपुरते गोड बोलणारा; मतलबी 
        माणूस. 
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*(११) टाकीचे घाव सोसल्याशिवाय देवपण येत* 
       *नाही.*

अर्थ-- कष्ट घेतल्याशिवाय मोठेपण मिळत नाही. 
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*(१२) तापल्या तव्यावर पोळी भाजून घेणे.* 

अर्थ-- आलेल्या संधीचा फायदा घेणे. 
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*(१३) भटाला दिली ओसरी, भट हळूहळू* 
        *पाय पसरी.* 

अर्थ -- एखाद्याला थोडीशी सवलत देताच तो 
         त्याचा जास्त फायदा घेऊ लागतो. 
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*(१४) मुंगी होऊन साखर खावी.*

अर्थ-- नम्रपणाने चांगल्या चांगल्या गोष्टी 
         साध्य होतात. 
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*(१५) हाताच्या कंकणाला आरसा कशाला ?*
     
अर्थ -- प्रत्यक्ष दिसणाऱ्या गोष्टीला पुराव्याची 
        गरज नसते. 
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*(१६) आपलेच दात, आपले ओठ.*

अर्थ-- आपल्याच माणसाने चूक केल्यामुळे 
         अडचणीची स्थिती निर्माण होणे. 
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*(१७) आंधळं दळत, कुत्रं पीठ खातं.*

अर्थ-- एकाने काम करावे आणि दुसर्‍याने 
        त्याचा फायदा घ्यावा. 
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*(१८) गोगलगाय अन् पोटात पाय.*

अर्थ -- बाहेरून गरीब दिसणारी; पण मनात 
         कपट असणारी व्यक्ती.
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